बहुत सारे सपने
हमने सजा लिए हैं
ताश के पत्तों की तरह
जीतने के फेर में इसे
हर वक्त फेंटते हैं
खेल हार जीत का समझ
इसकी ही चालों पर
हम जिया करते हैं|
और बाजियों में उलझ
एक अदद सपने के लिए
भरे बाजार,
बदहवास घूमते हैं
बदहवास घूमते हैं
सपने बोते सपने उगाते
दाँव पर सब, हम तो बस
सपनों की खेती किया करते हैं
सोने सुलाने के खेल में
नींद के फलक पर, केवल
इबारत लिखा करते हैं|
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