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Wednesday, November 9, 2011

मैं एक मुस्कुराता हुआ शव हूँ


                      
मैं एक मुस्कुराता हुआ शव हूँ
क्योंकि मैं कभी नहीं मरता
मैंने स्वयं को शव बनाया है
दूसरों के कंधों पर बैठ
घूमने में मजा आया है

इसीलिए तो-
मैं अपनी हत्या कर लेता हूँ
दूसरों के सहारे जीने का
मजा लूटता हूँ

हाँ मैं एक विजयी शव हूँ
इसे बनाना भी जानता हूँ !
और तो और
उसे अपने कंधों पर डाल
तांडव भी कर लेता हूँ
लेकिन डर जाता हूँ
क्योंकि मेरे जैसे अन्य भी
यहाँ नाचते हैं

आह ! अब 
इसमें भी प्रतिद्वंद्विता
सोचता हूँ,
कहीं हार न जाऊं
देखता हूँ,
मुझसे भी अच्छे शव हैं
उनमें अधिक चेतना है
वे सब सफेदपोश, गरिमामय
सजीले शव हैं
लेकिन,
मैं निर्द्वन्द्व
हम सब जीवित शव हैं
अतः बराबर हैं, हम बराबर हैं
------------------------------------ विनय

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