अब समझ गया हूँ
क्यों किसी ने-
क्यों किसी ने-
मौन को भी
मौनाभिव्यक्ति कहा था,
मौनाभिव्यक्ति कहा था,
किसी ने जब कहा था-
“आपसे प्रेम है”
तब मैंने कहा था-
इसे मौन ही रहने दो,
क्योंकि, कहने में ही,
न कहने का भाव
छिपा रहता है, एक
द्वंद्व बना रहता है
इसीलिए मौन को
अभिव्यक्ति मान लिया है
फिर किसी ने पूँछा-
प्रेम का मतलब क्या है,
झुँझलाकर मैं बोला
प्रिय का सिर फोड़ देना,
यही प्रेम का मतलब है
उसने कहा-
पागल हो गए हो?
मैं मौन हो गया, अपना
पागलपन पहचान गया
प्रेम का अर्थ जान गया
-----------------------------विनय