वेदना ! तुझसे पीड़ित कौन
यहाँ
क्यों तू उमड़ पड़ी हो,
प्रथम कवि की कविता सी
क्यों अंतर्तम से निकल पड़ी हो,
क्या यह आश्रय के योग्य नहीं
क्यों तू कविता सी बह निकली हो,
आखिर छिपा वह कौन रहस्य
गीतों में फिर क्यों सजती हो,
किस सागर में मिलने की चाह तुझे
क्यों अंतर्तम से छलकी हो,
इस रूखे-सूखे से मौसम में
सागर में मिलने क्यों जाती हो,
व्यापार की किस अभिलाषा में
वेदना ! गीत क्यों बन जाती हो !
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