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Thursday, August 8, 2013

एल ओ सी

मैं एक राष्ट्रवादी हूँ,
मेरा यह बेचारा राष्ट्रवाद
एक एल ओ सी का मोहताज है|
तभी तो, एल ओ सी के पार
देख पड़ोसी, उन्मादित हो जाता है|
कुरुक्षेत्र के रण में,
गीता के ज्ञान जैसा यह
अकसर प्रकट हो जाता है|
कितना प्रिय! यह एल ओ सी,
तभी तो, हमने इसके
तमाम घेरे बना लिए हैं|
कैद कर अपनों को ही
अपनी-अपनी इस एल ओ सी में
गौरवान्वित, इसे क्रास नहीं करते हैं|
और यहाँ पहुँच, वह
बेचारा हमारा राष्ट्रवाद
अकसर सो जाता है|
एल ओ सी के पार का पड़ोसी
निगहबान सैनिकों को मार 
शहीदी-शव हमें सौंप जाता है। 
अपनी-अपनी एल ओ सी में सोया
एक युद्ध का मोहताज 
हमारा वह राष्ट्रवाद !
उसे गाहे-बगाहे जगा जाता है|


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