चिड़ियों की
चहचहाहटो को सुन
आँखें खुल गयी हैं
देखा, पत्नी द्वारा
सुबह-सुबह विखेरे गए
चावल के दानों को
वह प्यारी सी गौरैया
अपनी चोंच में ले
अपने प्यारे से बच्चे के
नन्हीं लाल कोमल सी
खुलती चोंच में रख
बेइन्तहा चुगाये जा रही है
अपने बच्चे के
छोटे-छोटे परों के
फड़फड़ाहटों को देख
शायद सोच रही है
जल्दी से जल्दी
इसके डैने भी इसे
उड़ने की ताकत दे दें
परवाज भर सके
यह भी इस उन्मुक्त
आकाश मे !
देख इन्हें, सोचता जा रहा
इस डाली से उस डाली पर
फुदकने के लिए ही तो
प्यारी सी वह नन्हीं गौरैया
अपने बच्चे को
दाने चुगाती जा रही है
हाँ, इनकी चहचहाहटों में
किसी ‘ऑनर किलिंग’ जैसा
कोई स्वर नहीं उभरा था !
-विनय
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