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Saturday, May 11, 2013

इस छोटी सी धरती में!

[गूगल से चित्र]
नीम की डाली पर बैठे
कौओं की काँव - काँव,
भागती गिलहरियों की
चुट - चुट और खूंटे से 
बंधी रँभाती गायें।

हर-हर पीपल की छाँव में,
काका खड़े, चरखी नचाते,
सुतली की डोरी बनाते।
चारपाई पर बाबा बैठ 
दादा को देखते,वह
बंसुली ले पेरुआ गढ़ते।

छोटू बैठा पास में
दूध के दांतों से 
रोटी चबाता, उसे 
ताके, प्यारा  वह 
दुम  हिलाते।

अकस्मात, सुन चुट-चुट 
नीम के पेड़ से, 
उतरती गिलहरी देख, 
दौड़ा, झपटा उसकी ओर 
बाबा की आवाज 
दुर-दुर, सुन वह 
वापस लौटा धीरे -धीरे! 
बैठ छोटू का 
फिर मुँह ताके ,
छोटू ने फेंका रोटी का टुकड़ा, 
वह झपटा दुम हिलाते।

दूर आसमान में 
बादल छाते घने-काले 
बरसने को हो आए से 
निकलती काकी दरवाजे से, 
रँभाती गाए देख उन्हें,
खली डालती हौदे में
सानी में मुँह बोर
उड़ाती मखियाँ पूंछ हिलाते।

खोए सब अपने में 
थिर-थिर, मंथर-मंथर
हलचल में, अनंत में,
इस छोटी सी धरती में! 
  
------------------------------------विनय