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Tuesday, April 26, 2016

शायद आंधी आ रही है..

फैला हुआ वह मैदान
उसमें खड़ा वह एक अकेला पेड़
तपती दुपहरी में
उसके नीचे वे तीन-चार श्रमिक
जम्हुआइ से ले रहे
पास में ही अधकटा गेहूँ का खेत
सुनहली बालियों से अटा पड़ा
कोई बताए सरकार ने
गेहूँ बोये हैं या कि खेत काटे हैं
शायद वह सरकार है
जो इनमें से कुछ भी नहीं किया
हाँ, वे खेत के मजूर उठ बैठे
अपने-अपने हंसिये ले
खेत की ओर फिर चल पड़े
पेड़ की घनी छाया का सूनापन
कहीं से कोई कुत्त आकर
उसके नीचे बैठ जम्हुआने लगा है
फिर आये कुछ लोग
अपनी कुल्हाड़ियों के साथ
कुत्ते को दुरदुराया और
पेड़ की जड़ों पर कुल्हाड़ी
चलाने लगे हैं
खेत में गेहूँ काटते मजूर
उचक कर उसे देखने लगे हैं
कुत्ता दूर खड़ा मजूरों के
फेंके गए खाने की थैलियों को
अब चाटने लगा है
वहीँ दूर आकाश में
धूल का गुबार दिखाई दे रहा है

शायद आँधी आ रही है!
          ---------विनय

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